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दशहरा -रावण-और मानव-Dashhara-Ravan-And-Manav

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दशहरा -रावण-और मानव-Dashhara-Ravan-And-Manav

दोस्तों सत्य की जीत और असत्य की हार का पर्व दशहरा हमारे भारत वर्ष मे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है आज के दिन भगवान  श्री राम ने लंका के राजा रावण को मार कर  लंका पर और हमारी धरती को राक्षस मुक्त किया था यह पवन पर्व 9 दिन चलने वाले शारदीय नवरात्री के अगले दिन दसमी को मनाया जाता है इसलिए इस पर्व को विजय दशमी भी कहते है सभी जगह इसको अलग अलग नामो से मनाया जाता है इस पर्व को कई जगह दशहरा कहते है वैसे  इस पवन पर्व को मनाने के पीछे कही पुराणिक कथाये है ऐसा भी कहा जाता है की आज ही के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ चल रहे 10 दिन के युद्ध को समाप्त किया था और महिषासुर का वध किया |

दशहरा -रावण-और मानव-Dashhara-Ravan-And-Manav
दशहरा -रावण-और मानव-Dashhara-Ravan-And-Manav

रावण के गुण

रावण एक बहुत बड़ा पंडित था जब रावण मरने से पहले आखिरी साँस गिन रहा था जब भगवान श्री राम ने  लक्ष्मण को ज्ञान प्राप्ति के लिए रावण के पास भेजा था रावण ने कभी भी किसी भी पराई स्त्री को स्पर्श भी नही किया माँ सीता लंका मे रहते हुए भी कभी भी उसने माँ सीता को हाथ तक नहीं लगाया |रावण महान  विद्वान था वह बहुत सरे वेदों का ज्ञाता था वह बहुत बड़ा शिव भक्त था उसने शिव भगवान की भक्ति करके लंका को माँगा था

रावण बनना भी कहां आसान

रावण में अहंकार था, तो पश्चाताप भी था
रावण में वासना थी, तो संयम भी था
राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब “बाहर” रखता था..
महसूस किया है कभी उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से बार बार पूछ रहा था
“तुम में से कोई राम है क्या?”
                            यह कहानिया व्हाट्स अप स्रोत पर आधारित है |

आज का कलयुगी रावण \मानव —

दोस्तों जो आज का मानव है वो तो रावण कहलाने के लायक भी नहीं है आज के इस कलयुगी रावण ने तो हमारी माँ बहनों के उपर बहुत अत्याचार किया है कभी हम् धर्म के नाम पर लड़ रहे है कभी हम जमीं के नाम पर लड़ रहे है प्यार नाम की कोई चीज नहीं रही सब उसको सिर्फ जिस्म की भूख  मिटाने के लिए करते है
आज हम जिस रावण को जलाते है उससे अच्छा है हमारे अंदर के जो बुरे विचार है उनको जला दे हमारी तुलना तो करे की हम उस रावण से अच्छे है या बुरे दोस्तों हम् उससे  बहुत बुरे है हमारे अंदर बहुत बुरे विचार भरे हुए है रावण तो बेचारा शिव भक्त था हम थो भगवान का नाम भी लेना भूल गये बस सारे दिन मोह माया के पीछे भागते रहते है
इसलिए  दोस्तों रावण का पुतला जलाने  से अच्छा है अपने अंदर का  जो रावण है उसको मार  दो फिर कभी भी पुतला जलाने  की ज़रूरत नहीं है
“पुतले जलाने से क्या होगा
बस राख होगी धुंआ होगा
झांककर देख अपने गिरेबान में
रावण तुझसे तो अच्छा होगा
मेरा तो बस एक
कागज का पुतला जल रहा है
असली रावण तो दिल और दिमाग में पल रहा है
युग कोई भी हो
रावण कितना भी शकिशाली और विद्वान् हो
अगर अधर्म से भरा हुआ उसका काम  होगा
तो हर रावण यह समझ ले की
प्रभु श्रीराम उसकी मृत्यु का नाम होगा”
“तुम ज्यादा ना सोचो तो अच्छा होगा
इस जहाँ मे राम जैसा कौन सच्चा होगा
यकीं ना आये तो तुम खुद ही देख लो
त्रेता का रावण भी तुमसे अच्छा होगा”
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