कबीर दास जी की जन्म और मरण की कहानी — कबीर दास जी की जन्म की कहानी बहुत ही विशिस्ट है| मतलब अलग अलग लोगो का अलग अलग मत है लेकिन कबीर दास जी को मुस्लिम और हिन्दू दोनों धर्म के लोग मानते है उनकी पूजा करते है वैसे तो कबीरदास जी केजन्म को लेकर मुख्य तिथि किसी को याद नही है लेकिन ऐसा मानते है इस महान समाज सुधारक का जन्म 14 VI शताब्दी में हुआ| वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ|कबीर दास जी निराकार ब्रह्मा वाले संत थे उनका मानना था की भगवान को ध्यान लगाकर , उनका भजन करके ही पाया जा सकता है| वो मूर्ति पूजा के घोर विरोधी थे|
![KABIR DAS JI-जन्म और मरण की कहानी](https://shubhvicharhindi.com/wp-content/uploads/2024/02/IMG_20240226_191349.jpg)
कबीरदास जी की जन्म की कहानी –नीरू और नीमा एक मुस्लिम परिवार था |पति और पत्नी का नाम नीरू और नीमा था| उनके कोई संतान नही थी |वो रोज अल्लाह से प्रार्थना करते की उनके कोई संतान हो जाए| एक दिन वो तालाब से होकर जा रहे थे| उनको वहा तालाब के अंदर कमल के फूल में एक बच्चा दिखाई दिया| उस बच्चे को देख के वो दोनों भागकर उसके पास गये | वहा उन्होंने देखा की वो बच्चा उनको देख कर जोर – जोर से हसने लगा| हाथ पैर हिलाने लग गया| मानो वह कह रहा हो की मुझे यहा से घर ले चलो| वो उस बच्चे को घर लेकर आ गये| उन्होंने सोचा की भगवान ने उनके उपर कृपा करके इस बच्चे को यहा भेजा है ,वो ख़ुशी- ख़ुशी उस बच्चे का पालन -पोषण करने लग गये|कबीर दास जी के अध्यात्मिक गुरु रामानंद थे|
कबीर दास जी के मरण की कहानी जितनी रोचक उनके जन्म की कहानी है ,उससे कही ज्यादा उनके मरण की कहानी है | उस समय लोगो में एक अंध विश्वास था कि वाराणसी में मरने पर स्वर्ग मिलता है मगहर(UP उत्तर प्रदेश ) में मरने पर नरक मिलता है |इस बार से कबीर दास जी ने लोगो को खूब समझाया की ऐसा कुछ नहीं होता | इस बात का खंडन करने के लिए कबीरदास जी ने निष्चय किया की वो अपने जीवन का अंतिम समय मगहर में ही बिताएंगे| जब कबीर दास जी की मौत हुई तब हिन्दू धर्म और मुस्लिम धर्म के लोगो के बीच काफी विवाद हुआ| क्युकी दोनों ही धर्मो के लोग उनको बराबर मानते थे| हिन्दू धर्म के लोग उनका अंतिम संस्कार शव को जलाकर करना चाहते थे| लेकिन मुस्लिम धर्म के लोग उनको दफनाना चाहते थे| लेकिन तभी एक चमत्कार हुआ ,जैसे ही दोनों धर्मो के लोगो ने कफ़न को हटाया वहा पर शव की जगह फुल मिले |लोग सोचने लग गये की ,ये क्या हुआ| फिर बाद में दोनों धर्मो के लोगो ने वो फूल आधे -आधे कर लिए| हिन्दू धर्म के लोगो ने फूलो को जला दिया| और मुस्लिम धर्म के लोगो ने उन फूलो को दफना दिया|
कबीर पंथ क्या है —– कबीर दास जी के द्वाराचलाया गया एक पंथ है| संत कबीर साहेब एक महान संत, कवि और महान समाज सुधारक हुए थे| उनके द्वारा जो पंथ (धर्म) चलाया गया उसे ही कबीर पंथ कहां जाता है |इनके पंथ को हिंदू संप्रदाय के लोग और मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग दोनों ही मानते है |प्रारंभ में वे सूत काटते और कपड़ा बुनते थे |कपड़ा बुनते- बुनते उन्होंने जीवन के अनमोल दोहो को बुन लिया, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक है,जितने उस जमाने में थे |कबीर दास जी निर्गुण निराकार ब्रह्मा (विष्णु) संत थे ,जो अंधविश्वास और पाखंड मंदिर, मस्जिद के घोर विरोधी थे |उनका मानना था कि ध्यान लगाने से ही ईश्वर को पाया जा सकता है|