Swami Vivekananda Quotes for students in Hindi, स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार,स्वामी विवेकानन्द एक बहुत ही बड़े हिन्दू संत थे जो धार्मिक शिक्षा लोगो को पसंद करते थे। आप एक लेखक, दार्शनिक हैं। और रामकृष्ण जी के सबसे बड़े शिष्य थे। इनके कहे गए बहुत से कोट्स लोगो में मोटिवेशन और जुनून भटने के लिए बहुत उपयोगी है। इसलिया हमने कुछ इनकी प्रसिद्ध शायरी विशेष रूप से छात्रों के लिए यहां साझा की है।
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Swami Vivekananda Quotes for students in Hindi | स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता,
एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।
ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर
एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
चिंतन करो, चिंता नहीं;
नए विचारों को जन्म दो।
सारे उत्तरदायित्व अपने कंधों पर ले लो।
याद रखो तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो।
सारी शक्ति तुम्हारे अंदर है
जब तक जीना, तब तक सीखना,
अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
जब तक जीना, तब तक सीखना,
अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।
अपना जीवन एक लक्ष्य पर निर्धारित करो।
अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो।
और हर दूसरे विचार को अपनी ज़िन्दगी से निकाल दो।
यही सफलता की कुंजी है।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते
तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते
भगवान से प्रेम का बंधन वास्तव में ऐसा है
जो आत्मा को बांधता नहीं है
बल्कि प्रभावी ढंग से उसके सारे बंधन तोड़ देता है।
जिस समय जिस काम को करने की प्रतिज्ञा करो,
उसे उसी समय पूरा कर लेना चाहिए,
नही तो लोगों का आप पर से विश्वास उठ जाता है।
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Swami Vivekananda thoughts in hindi
शारीरिक बौद्धिक और आध्यात्मिक
रूप से जो कुछ भी कमजोर बनता है
उसे जहर की तरह त्याग दो।
तुम अमर आत्मा हो, शुद्ध-बुद्धमुक्त स्वभाव,
शाश्वत और मंगलमय हो, तुम जड़ नहीं हो,
तुम शरीर नहीं हो; जड़ तुम्हारा दास है,
तुम उसके नहीं। प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है।
बाधाएं वो चीज होती हैं
जिनके आप तब देखते हो
जब आपकी नजर अपने लक्ष्य से दूर हट जाती है।”
जो व्यक्ति सांसारिक मोह से व्याकुल नहीं होता
वह व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है,
फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
अपने आप में विश्वास भीतर के
ब्रह्मभाव को बाहर प्रकट कर देता है।
तुम सब कुछ कर सकते हो।
तुम असफल तब होते हो,
जब अनन्त शक्ति को व्यक्त करने
के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करते।
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है,
फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य के किरणों के समान है
जब वह केंद्रित होती है चमक उठती है।
हम जितना ज्यादा बाहर जाएं और दूसरों को भला करें,
हमारा ह्दय उतना ही शुद्ध होगा,
और परमात्मा उसमें बसेंगे।
चीजें बेहतर नहीं होतीं;
वो जैसी हैं वैसी ही बनी रहती हैं।
ये हम ही हैं जो अपने अंदर बदलाव
लाकर खुद का बेहतर विकास करते हैं।”
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स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
सफल होने के लिए एक विचार लो।
उस विचार को अपना जीवन बना लो –
उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो,
उस विचार को जियो।
अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों और नसों
शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो।
यही सफल होने का मूलमंत्र है।
धन्य है वो लोग जिसके शरीर दूसरों की सेवा करने
में नष्ट हो जाते हैं।
ज्ञान को समन्वित करके प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं
क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते
जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते है
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें,
मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सके और
विचारों का सामंजस्य कर सकें
वहीं वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है,
हमें नष्ट भी कर सकती है,
यह अग्नि का दोष नहीं है
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो,
ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये,
नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
हमे ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने,
मानसिक विकास हो,
बुद्धि का विकास हो और
मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।
कामयाब होने के लिए अपनी मेहनत
पर विश्वास करना जरूरी है,
किस्मत तो जुए में आजमायी जाती है।
जिस अभ्यास से मनुष्य की इच्छाशक्ति,
और प्रकाश संयमित होकर फलदाई बने उसी का नाम है शिक्षा।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
एक आदमी एक रुपये के बिना गरीब नहीं है
लेकिन एक आदमी सपने और महत्वाकांक्षा
के बिना वास्तव में गरीब है।
विचार-विमर्श एवं उपदेश विधि
द्वारा ज्ञानार्जन किया जाना चाहिए।
किसी भी इंसान की इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प
उसे भिखारी से राजा बना सकती है।
विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा
में परिवर्तन होना चाहिए ।
जब तक जीना, तब तक सीखना,
अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
एकाग्रता की शक्ति ही ज्ञान के खजाने की एकमात्र कुंजी है
शिक्षा गुरुगृह में ही प्राप्त की जा सकती है।
समस्त ज्ञान चाहे वो लोकिक हो या आध्यात्मिक,
मनुष्य के मन में है परन्तु
प्रकाशित ना होकर वह ढका रहता है ।
अध्ययन से वह धीरे धीरे उजागर होता है।
आप सफलता तब तक नही प्राप्त कर सकते
जब तक आप में असफल होने का साहस न हो.
स्वतंत्र होने का साहस करो,
जहां तक तुम्हारे विचार जाते हैं
वहां तक जाने का साहस करो,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।
swami vivekanand ke shaikshik vichar
कुछ मत पूछो बदले में कुछ मत मांगो जो देना है
वह दो वह तुम तक वापस आएगा
पर उसके बारे में अभी मत सोचो।
हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते,
बल्कि हम दुनियाँ के सभी धर्मों को
सत्य के रूप में स्वीकार भी करते हैं।
समस्त धर्मों का,
समस्त सम्प्रदायों का आदर्श एक ही है।
कुछ पूछो मत और बदले में कुछ मांगों मत,
जो देना है दे दो, वो वापस तुम तक आ जाएगा
परंतु उसके बारे में सोचो मत।”
खुद को कमजोर समझना
यह हमारी सबसे बड़ी भूल है।
उस उम्मीद को खो देना सबसे बुरा है
जिसके भरोसे हम सब कुछ पा सकते हैं।”
भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए,
इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर।
जिंदगी का रास्ता बना बनाया नही मिलता
उसे हमें स्वयं बनाना पड़ता है,
जो जैसा मार्ग बनाता है उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।
हम आज जो भी हैं अपने विचारों द्वारा बनाए गए हैं
इसलिए आप क्या सोचते उस पर हमेशा ध्यान दें।
शब्द गौण हैं। विचार जीवित; ये दूर तक जाते हैं।”
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है,
फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ
अंत में अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,
उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग ,
चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है ।
अनमोल वचन स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचार
जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है ,
स्वयं को बनाना पड़ता है ,
जो जैसा मार्ग बनाता है
उसे वैसा ही मंज़िल मिलता है ।
किसी की निंदा ना करें ।
अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं ,
तो ज़रूर बढाएं ।
अगर नहीं बढ़ा सकते , तो अपने हाथ जोड़िये ,
अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये ,
और उन्हें सही मार्ग पर चलने की सलाह दीजिए ।
ज़िन्दगी का रास्ता बना बनाया नही मिलता है,
स्वयं को बनाना पड़ता है।
जिसने जैसा मार्ग बनाया,
उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।
आप कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है ।
ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है ।
अगर कोई पाप है , तो वो ये कहना है कि तुम निर्बल हो ,
या अन्य निर्बल हैं ।
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है
जहां हम खुद को मज़बूत बनाने के लिए आते हैं।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे ,
तो इसका कुछ मूल्य है ,
अन्यथा , ये सिर्फ राठ का एक ढेर है ,
और इससे जितनी जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है ।
हम भले ही पुराने सड़े घाव को स्वर्ण से ढक कर
रखने की चेष्टा करें एक दिन ऐसा आएगा
जब वह स्वर्ण वस्त्र खिसक जाएगा
और वह घाव अत्यंत वीभत्स घाव रूप
में हमारे आंखों के सामने प्रकट हो जाएगा ।
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता ,
वो केवल त्रुटी जानता है और वेदान्त कहता है
कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो ,
तुम पापी हो , एक तुच्छ प्राणी हो ,
और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये नहीं कर सकते ।
बस वही जीते हैं
जो दूसरों के लिए जीते हैं।
पढ़ने के लिए जरूरी है ‘ एकाग्रता ‘ ।
एकाग्रता के लिए जरूरी है ‘ ध्यान ‘
education vivekananda quotes in hindi
क्योंकि ध्यान से ही हम अपने इन्द्रियों पर नियंत्रण रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं ।
बहुत सी कमियों के बावजूद
अगर में स्वयं से प्रेम कर सकता हूँ,
तो दूसरों में थोड़ी बहुत कमियों की वजह
से उनसे घृणा कैसे कर सकता हूँ ।
किसी मकसद के लिए खड़े हों तो एक पेड़ की तरह
और अगर गिरो तो एक बीज की तरह ।
ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको ।
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है ,
इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं ।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं।
विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं।
प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है
वह पहले से ही मौत के जबड़े में है
इसलिए हमेशा कुछ नया सीखते रहिए ।
जिस क्षण मैंने यह जान लिया था
कि भगवान हर एक मानव शरीर रूपी मंदिर में विराजमान हैं ,
जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया
और उसके भीतर भगवान को देखने लगा-
उसी क्षण में बन्धनों से मुक्त हो गया ,
हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी ,
और मैं स्वतंत्र हूँ ।
एक बात हमेशा याद रखिए कि
संभव की सीमा जानने का केवल एक ही मार्ग है
और वह है कि असंभव से भी आगे निकल जाना ।
खड़े हो जाओ , हिम्मतवान बनो …
ताकतवर बन जाओ ,
सब जवाबदारियां अपने सिर पर ओढ़ लो ,
और समझो कि अपने नसीब के रचियता तुम खुद हो ।
जितना बढ़ा संघर्ष होगा
जीत उतनी ही बढ़ी होगी।
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स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचार
पवित्रता , धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा
सारी बाधायें दूर हो जाती हैं ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते हैं ।
तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है ।
कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता ,
कोई तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता ।
तुम्हारी आत्मा के आलावा तुम्हरा कोई और गुरु नहीं है ।
विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है ,
क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता ।
और वो भयभीत हो उठते हैं ।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए
-आप सुनिश्चित हो सकते हैं
कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
आदर्श , अनुशासन , मर्यादा , परिश्रम , ईमानदारी
और उच्च मानवीय मूल्यों के बिना
किसी का जीवन महान नहीं बन सकता ।
संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है
और यही संगति आपकी ऊंचाई को समाप्त भी कर सकता है।
हम हमेशा अपनी कमजोरी को अपनी
शक्ति बताने की कोशिश करते हैं
अपनी कायरता को धैर्य और अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं।
जिंदगी बहुत छोटी है ,
दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड स्थायी नहीं है
पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है ,
बाकि सभी तो जीवित से अधिक मृत है ।
शक्ति जीवन है , निर्बलता मृत्यु है ।
विस्तार जीवन है , संकुचन मृत्यु है ।
प्रेम जीवन है , द्वेष मृत्यु है ।
आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता
ये बंधन की त्रिमूर्तियां हैं ।
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स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें ,
मनुष्य बन सकें , चरित्र गठन कर सकें और
विचारों का सामंजस्य कर सकें ।
वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है ।
सुख और दुःख सिक्के के दो पहलु हैं ।
सुख जब मनुष्य के पास आता है तो
का मुकुट पहन कर आता है।
दिन में आप एक बार स्वयं से बात करे,
अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान
से मिलने का मौका चूक जाएंगे।
भय और अधूरी इच्छाएं
ही हमारे समस्त दुखों का मूल हैं ।
प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है ।
इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है ।
वह जो प्रेम करता है जीता है ,
वह जो स्वार्थी है मर रहा है ।
किसी चीज से डरो मत ।
तुम अद्भुत काम करोगे ।
यह निर्भयता ही है
जो क्षण भर में परम आनंद लाती है ।
दुनिया मज़ाक करे या तिरस्कार ,
उसकी परवाह किये बिना मनुष्य को अपना
कर्त्तव्य करते रहना चाहिये ।
स्वतंत्र होने का साहस करो ।
जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं
वहां तक जाने का साहस करो ,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो ।
ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।
वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं
और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।
वो मजबूत आदमी है।
जो कहता है कि मैं अपनी
किस्मत स्वयं बनाऊंगा।
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मोटीवेशनल स्वामी विवेकानंद कोट्स
मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
कमजोर सोचते हो,
तुम कमजोर हो जाओगे,
अगर खुद को ताकतवर सोचते हो,
तुम ताकतवर हो जाओगे।
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता
ये तीनों सफलता के लिए परम आवश्यक है।
दिल और दिमाग के टकराव में,
अपने दिल की सुनो।
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो,
ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये,
नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
तुम्हें भीतर से जागना होगा
कोई तुम्हें सच्चा ज्ञान नहीं दे सकता।
तुम्हारी आत्मा से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है।
जितना बड़ा संघर्ष होगा,
जीत उतनी ही शानदार होगी।
आशा की ज्योति जलाए,
निराशा और अंधकार में डूबे ना रहे।
निरंतर प्रयास करते रहें और हमेशा प्रसन्न रहें।
तुम्हें अंदर से सीखना है सबकुछ।
तुम्हें कोई नहीं पढ़ा सकता,
कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता।
अगर यह सब कोई सिखा सकता है
तो यह केवल आपकी आत्मा है।
शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित
पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
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अगर कोई पाप है,
तो वो सिर्फ और सिर्फ अपने
आपको या दूसरों को कमजोर मानना है।
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको,
जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी
स्वभाव का बड़ा रूप है।
जिस पल मुझे यह ज्ञात हो गया
कि हर मानव के हृदय में भगवान हैं
तभी से मैं अपने सामने आने वाले
हर व्यक्ति में ईश्वर की छवि देखने लगा हूं
और उसी पल मैं हर बंधन से छूट गया।
वह नास्तिक है,
जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।
ख़ुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
अच्छे चरित्र का निर्माण हजार बार
ठोकर खाने के बाद होता है।
जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है,
पर जो रिश्ते हैं उनमें जीवन का होना जरूरी है।
ईसा मसीह की तरह सोचो और तुम ईसा बन जाओगे।
बुद्ध की तरह सोचो और तुम बुद्ध बन जाओगे।
जिंदगी बस महसूस होने का नाम है।
सबसे बड़ा धर्म है
अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना।
स्वयं पर विश्वास करो।
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swami vivekananda quotes in hindi
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है
जहां हम खुद को मज़बूत बनाने के लिए आते हैं।
जरूरत से ज्यादा वक्त और इज्जत देने
से लोग आपको गिरा हुआ समझने लगते हैं।
जैसा तुम सोचोगे, वैसा ही बन जाओगे।
खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल
मानोगे तो सबल बन जाओगे
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं।
विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं।
प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
मेहनत से जीवन की हर मुश्किल
से बाहर निकला जा सकता है।
एक समय में एक काम करो,
और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा
उसमें डाल दो और
बाकी सब कुछ भूल जाओ।
हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर स्थित है।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए
-आप सुनिश्चित हो सकते हैं
कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
ईश्वर को हम बाहरी दुनिया में नहीं ढूंढ सकते।
वह तो हमारे हृदय और
हर प्राणी की आत्मा में निवास करता है।
हम उसे वहीं पा सकते हैं।
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है,
मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
हम जो बोते हैं,
वो काटते हैं।
हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं
उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ
नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।